लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ्ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है
मन् का विश्वास रगों में साहस बनता है
चढ़ कर गिरना , गिर कर चढ़ना ना अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती....
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगता है
जा जा कर खाली हाथ लौट आता है
मिलते ना सहज ही मोती पानी में
बहता दूना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती....
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो
क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो
जब तक ना सफल हो नींद चैन की त्यागो तुम
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती....
- Poem by Suryakant Tripathi "Nirala"
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